वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२१ मार्च २०१५,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
अष्टावक्र गीता (अध्याय-१ श्लोक-२)
मुक्तिमिच्छसि चेत्तात्, विषयान विषवत्त्यज।
क्षमार्जवदयातोष, सत्यं पीयूषवद्भज॥
प्रसंग:
कहाँ मिलेगा प्रेम?
प्रेम माने क्या?
प्रेम कैसे पायें?
प्रेम के धोखे से कैसे बचें?