पंच कोश मनुष्य के शरीर के अथवा अस्तित्व के पाँच आयाम है जिनमें एक व्यक्ति हर क्षण विचरता रहता हैं।यह पाँच कोश तैत्तिरीय उपनिषद से लिये गए हैं।कोश का अर्थ होता हैं - मंजूषा , पिटारा । जिसमें एक ही प्रकार की वस्तु या पदार्थ एकत्र हो उसे कोश कहते हैं। इसी प्रकार मय का अर्थ होता हैं "से बना हुआ " जैसे अन्न से निर्मित -अन्नमय कोश, प्राणो से बना - प्राणमय कोश ,इसी प्रकार मनोमय , विज्ञानमय, आनंदमय।
षट्कर्म द्वारा अन्नमय कोष को पुष्ट किया जा सकता हैं।प्राणायाम के द्वारा प्राणमय कोश को पुष्ट किया जा सकता हैं। ध्यान के द्वारा मनोमय कोश को पुष्ठ किया जा सकता हैं।