Rath Yatra 2025 : पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर में हर साल देवस्नान पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान जगन्नाथ को 108 कलशों के सुगंधित जल से स्नान कराया जाता है। इस बार 11 जून को देवस्नान पूर्णिमा के दिन जब महाप्रभु को स्नान कराया गया, तो शास्त्रों के अनुसार स्नान के पश्चात वे 'मानव रूप' में अस्वस्थ हो गए। यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसमें भगवान की मानवीय लीला को दर्शाया जाता है। इस अवधि में उनकी विशेष देखभाल की जाती है, जिसे 'अनवसर सेवा' कहा जाता है। यह सेवा मंदिर के भीतर 'अणवसर गृह' (बुखार घर) में की जाती है, जहां दइतापति सेवक भगवान की गुप्त चिकित्सा सेवा करते हैं।
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