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श्री जगन्नाथ अष्टकम् –आदि शंकराचार्य रचित | Shri Jagannath Ashtakam #जगन्नाथ #Jagannath #पुरी #puri

2025-07-19 44 Dailymotion

श्री जगन्नाथ अष्टकम् का सारांश

श्री जगन्नाथ अष्टकम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक अत्यंत भावपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) के दिव्य स्वरूप, लीला, करुणा और भक्ति की महिमा का वर्णन आठ श्लोकों में किया गया है। प्रत्येक श्लोक की अंतिम पंक्ति — “जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे” — भक्त की गहन प्रार्थना है कि भगवान सदा उसकी दृष्टि में विराजमान रहें।

• जब आदि शंकराचार्य पहली बार पुरी धाम पहुँचे और भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए, तो उनकी दिव्यता से अभिभूत होकर उन्होंने यह अष्टकम रचा।
• यह स्तोत्र वैष्णव भक्ति परंपरा में अत्यंत पूजनीय है और चैतन्य महाप्रभु भी इसका गान करते थे।
श्लोक संख्या भावार्थ
1 यमुना तट पर गोपियों संग लीला करते श्रीकृष्ण का मधुर रूप
2 बांसुरी, मोरपंख और कटाक्ष से सजी वृंदावन की छवि
3 पुरी में बलभद्र और सुभद्रा संग विराजमान जगन्नाथ
4 करुणा के सागर, कमलमुख, वेदों द्वारा स्तुत भगवान
5 रथयात्रा में भक्तों की स्तुति सुनकर प्रसन्न होते प्रभु
6 नीलांचल निवासी, राधा के प्रेम में रसानंदित श्रीकृष्ण
7 सांसारिक सुखों की कामना नहीं, केवल प्रभु-दर्शन की अभिलाषा
8 संसार और पापों से मुक्ति की प्रार्थना, प्रभु के चरणों में समर्पण
आध्यात्मिक महत्व
• यह स्तोत्र दर्शनयोग और प्रेमभक्ति का अद्भुत संगम है
• पाठ करने से पापों का नाश, मानसिक शांति, और विष्णुलोक की प्राप्ति होती है
• विशेष रूप से रथयात्रा, पुरी यात्रा, या श्रावण मास में इसका पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है

Explore the divine Shri Jagannath Ashtakam composed by Adi Shankaracharya. Discover its spiritual meaning, eight-verse structure, and how it brings peace, devotion, and liberation through Lord Jagannath’s grace.

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