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छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़....जहां कुछ समय पहले तक नक्सलियों का सिक्का चलता था. लेकिन अब वहां उनका सूरज डूब रहा है. यहां अब विकास की बयार बहने लगी है. नरायणपुर और कांकेर जिले का सरहदी इलाका जहां लोग नक्सलियों के खौफ में जीने की मजबूर थे. अब वहां तेजी से विकास के काम हो रहे है.
एक सड़क नारायणपुर से अबूझमाड़ के घने जंगल के इलाके से होते हुए कांकेर के सरहदी गांव सितरम तक जा रही है.जहां सुरक्षा बलों ने अपना नया कैंप स्थापित किया गया है.
सितरम गांव ...जो कभी नक्सलियों का कोर एरिया माना जाता था. जहां जवानों का भी पहुंचना नामुमकिन था. वहां ये कैंप बता रहा है कि यहां नक्सलियों का डेरा अब खत्म हो चुका है.
इस कैंप के खुलने से इस इलाके में विकास की बयार बहेगी. जहां कभी स्कूलों पर ताले जड़े थे. वहां बच्चे पढ़ेंगे और आगे बढ़ेंगे.
सितरम गांव में पहुंचते ही एक बड़ा गेट है. जो आपका स्वागत करेगा. एक पगडंडी गांव के अंदर जाती है. ये दिखाती है कि यहां नक्सलियों की वजह से जिस गति से विकास होना चाहिए उस गति से नहीं हुआ है. सड़क बनने के बाद विकास की यहां किरणे पहुंचेगी और लोगों की तकदीर बदलेगी.