जिस उम्र में ज़्यादातर लोग एक्टिव ज़िंदगी से रिटायर हो जाते हैं, ओडिशा के केंद्रपाड़ा के निकिराई पटना गाँव के 85 साल के धनेश्वर बारिक आज भी कंधे पर फावड़ा रखकर हर दिन मीलों चलते हैं, और पिछले तीन दशकों में लगाए गए हज़ारों पेड़ों की देखभाल करते हैं. ज़िंदगी भर पेड़ लगाने का उनका मिशन तीन दशक पहले बिना किसी स्वार्थ और पर्यावरण की ज़िम्मेदारी के तौर पर शुरू हुआ था.
ऐसे समय में जब ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए पेड़ लगाने के काम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, 80 साल के धनेश्वर ने किसी संस्था की मदद का इंतज़ार नहीं किया, बल्कि निकिराई और आस-पास की कुटरांग पंचायतों में हज़ारों पौधे लगाए और उनकी देखभाल की, और वह भी अकेले, बिना सरकारी मदद के.