सवाईमाधोपुर. आज विश्व मानवाधिकार दिवस है। मानव अधिकारों को हर व्यक्ति का जन्मजात अधिकार माना गया है, जिनमें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के साथ समानता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, नागरिक और राजनीतिक अधिकार भी शामिल हैं। इनका उद्देश्य हर व्यक्ति को गरिमामय जीवन और समान अवसर प्रदान करना है लेकिन हकीकत यह है कि मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। जिले में कई मामले ऐसे सामने आते हैं, जहां शिकायतें तो दर्ज की जाती हैं, लेकिन उनका समय पर निस्तारण नहीं होता। आमजन की समस्याएं फाइलों में दबकर रह जाती हैं और न्याय की उम्मीद करने वाले लोग निराश हो जाते हैं।
ऐसे ही कुछ मामले जिले में देखे जा सकते है, जहां बिजली, पानी, सड़क, शौचालयों समेत कई समस्याएं सरकार व प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल रही है।
जिला मुख्यालय पर हाल बेहाल...
सार्वजनिक शौचालयों की बदतर हालत
जिला मुख्यालय पर सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है। नियमित सफाई न होने से संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। जिला कलक्ट्रेट तक में शौचालयों की बदतर हालत प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है। यह आमजन के स्वास्थ्य और गरिमामय जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। कलक्ट्रेट में जिला परिषद के सामने एवं जिला उपभोक्ता मंच कार्यालय के पीछे शौचालय बदहाल है। इसके अलावा अन्य जगहों पर भी सार्वजनिक शौचालय बदहाल है।
प्राइवेट अस्पतालों में बायो मेडिकल वेस्ट का संकट
जिले के सरकारी व निजी अस्पतालों में बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण नियमों के अनुसार नहीं किया जा रहा है। यह कचरा सीधे वातावरण में फैंक रहे है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए घातक है बल्कि मानवाधिकारों का भी खुला उल्लंघन है। जिला अस्पताल के बाहर बायोवेस्ट व कचरा इधर-उधर बिखरा मिला।
टूटी सड़कें और अतिक्रमण से यातायात बेहाल
बजरिया से आलनपुर तक की मुख्य सड़कें टूटी-फूटी हैं और दोनों ओर अतिक्रमण फैला है। आमजन को हर समय दुर्घटना का डर बना रहता है। रात के समय सड़कों पर पर्याप्त रोशनी नहीं होने से खतरा और बढ़ जाता है। यह स्थिति यातायात व्यवस्था की लापरवाही को उजागर करती है और नागरिकों के सुरक्षित आवागमन के अधिकार का हनन करती है।
मिलावटी खाद्य पदार्थ और अस्वास्थ्यकर पकवान
घी, तेल, मावा और पनीर जैसी वस्तुओं में खुलेआम मिलावट की जा रही है। हर चौराहे पर कचोरी, समोसा और पकोड़े एक ही तेल से सुबह से शाम तक बनाए जाते हैं। यह प्रथा स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है। नागरिकों को शुद्ध भोजन का अधिकार है, लेकिन मिलावटखोरी इस अधिकार को छीन रही है। इसकी सच्चाई खुद खाद्य सुरक्षा टीम की ओर से जांच में हुई है। यह हाल तो जिला मुख्यालय पर खाद्य दुकानों है, पूरे जिले में कचोरी, समोसा और पकोड़े एक ही तेल में बनाए जाते है लेकिन इनकी जांच तक नहीं होती। केवल खानापूर्ति की जाती है।
एक्सपर्ट व्यू...
मानवाधिकारों की अनदेखी पर उठाए आवाज़
आम नागरिकों से जुड़े मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं। जनस्वास्थ्य, परिवहन, पानी, मिलावट और चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाओं से संबंधित शिकायतें बार-बार राज्य मानवाधिकार आयोग और उच्च स्तर पर प्रस्तुत की जाती रही हैं, लेकिन इनका समय पर निस्तारण नहीं हो रहा है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट नियमों के अनुसार निस्तारित नहीं किया जाता। इसे खुले में जलाया या फेंक दिया जाता है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। सड़कों की पांच वर्ष की गारंटी होने के बावजूद ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होती और सड़कें समय से पहले ही टूट जाती हैं। खाद्य वस्तुओं में मिलावट पर भी कोई अंकुश नहीं है। घी, तेल, मावा और पनीर जैसी वस्तुएं खुलेआम मिलावटी रूप में बेची जाती हैं। यह स्थिति आमजन के स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार का हनन है। जिले की मूलभूत सुविधाओं से जुड़े विभागों के सभी अधिकारियों को मानवाधिकार संरक्षण की विशेष ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, ताकि वे आमजन की समस्याओं को गंभीरता से लें और उनके अधिकारों की रक्षा कर सकें। इसके खिलाफ आमजन को आवाज उठाने की जरूरत है।
हरिप्रसाद योगी, अधिवक्ता एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, सवाईमाधोपुर