भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों — भारत रत्न और पद्म पुरस्कार — को लेकर अदालत ने बड़ा बयान दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 1995 के ऐतिहासिक फ़ैसले का हवाला देते हुए साफ कहा कि पद्म श्री, पद्म भूषण या पद्म विभूषण कोई “उपाधि” नहीं हैं। इसलिए इन्हें नाम के आगे या पीछे लगाना कानूनी रूप से गलत है। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला पूरे देश पर लागू होता है और सभी अदालतों एवं पक्षकारों को इसका पालन करना होगा। अदालत का मानना है कि संविधान समानता की बात करता है, इसलिए किसी भी तरह की उपाधि सामाजिक असमानता को बढ़ावा दे सकती है।
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